वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने 01 फ़रवरी 2021 को आम बजट का अनावरण किया जिसमे उन्होंने रियल एस्टेट का बखूबी ख्याल रखते हुए कोरोना से त्रस्त निर्माण उद्योग को राहत की सांस प्रदान की।
जो लोग इस बजट को लाइव नहीं देख पाए या फिर बजट के रियल एस्टेट पर पड़ने वाले प्रभावों के सार को समझने में कठिनाई महसूस कर रहे हैं या फिर जिनकी खुद की (real estate company) रियल एस्टेट कंपनी है हमने उन सभी की सहूलियत के लिए कुछ पेचीदा जानकारियों का सम्मिश्रण सरल शब्दों के ज़रिये हमारे इस लेख में किया है |
अगर आप रियल एस्टेट से किसी भी तरह का ताल्लुक रखते हैं या फिर प्रॉपर्टीज के लेन-देन में रूचि रखते हैं तो इस लेख में निहित जानकारी आपके लिए अत्यंत आवश्यक हैं |
पहली बार घर खरीदने का सपना लिए चौखट पर आये लोगों के लिए वित्त मंत्री ने प्रोत्साहन के तौर पर आयकर में अतिरिक्त छूट पाने के लिए निर्धारित तय समय सीमा में एक साल की बढ़ोतरी की है | 31 मार्च 2022 तक अफोर्डेबल हाउसिंग स्कीम द्वारा स्वीकृत घर खरीदने के लिए होम लोन लेने पर अनुभाग 2 (बी) के मद्देनज़र 2 लाख के अलावा, अनुभाग 80 (ईईए) के ज़रिये आयकर में 1.5 लाख की रियायत और मिल सकती है |
यह खबर उन सभी के लिए ख़ुशी का पैगाम लायी है जो मार्च 2022 तक घर खरीदने की कवायद में लगे हुए है।
अफोर्डेबल हाउसिंग की परिभाषा वैसे तो हर राज्य में बदलती रहती है लेकिन मुख्य तौर पर 45 लाख से कम का दाम और दिल्ली एनसीआर, मुंबई, हैदराबाद, कोलकाता, बैंगलोर, और चेन्नई में 60 वर्ग मीटर से कम का कालीन क्षेत्र (कारपेट एरिया), अफोर्डेबल हाउसिंग के दायरे में आता है। वहीँ अन्य शहरों में घर का कालीन क्षेत्र 90 वर्ग मीटर से कम होना अनिवार्य है।
इसके अलावा वित्त मंत्री ने प्रवासी मजदूरों के हितों के संरक्षण हेतु अफोर्डेबल हाउसिंग से जुड़े प्रोजेक्ट्स के बिल्डर्स के लिए कर में नयी रियायतों की घोषणा भी की है। साथ ही साथ कोरोनाकाल से ग्रसित अफोर्डेबल हाउसिंग इंडस्ट्री में जान फूंकने के लिए बिल्डर्स को अतिरिक्त एक साल के लिए टैक्स हॉलिडे प्रदान करने की घोषणा भी की है।
आर्थिक मंदी से जूझ रहे डवलपर्स और खरीदारों को राहत पहुँचाने के लिए वित्त मंत्री ने सेफ हार्बर लिमिट को 10% से 20% करने का एलान किया है। सेफ हार्बर लिमिट का फायदा उन खरीदारों और डवलपर्स (real estate agencies) को होता है जो प्रॉपर्टी को सर्किल वैल्यू यानि के सरकार द्वारा निर्धारित दर से कम में बेचते और खरीदते हैं। ऐसा करने के लिए ज़रूरी है कि प्रॉपर्टी सीधे बिल्डर से खरीदी गयी हो।
अमूमन डवलपर्स कम कीमत में घर तभी बेचते हैं जब या तो मंदी का दौर चल रहा होता है या फिर बहुत से घर बिक नहीं पा रहे होते है। पूर्व में अगर सर्किल वैल्यू से 10% से एक रुपये भी नीचे घर बेचा जाता था तो डवलपर (real estate company) और खरीददार दोनों को टैक्स जमा करना होता था, अब यह सीमा बढाकर 20 प्रतिशत कर दी गयी है, जिसके ज़रिये दोनों पक्षों को कर में भारी भरकम बचत करने के समान अवसर मुहैय्या कराये गए हैं|
रियल एस्टेट इंफ्रास्ट्रक्चर ट्रस्ट्स (REITs) एवं इंफ्रास्ट्रक्चर इन्वेस्टमेंट ट्रस्ट्स (InVITs) को और मज़बूत बनाने के लिए सरकार द्वारा कईं विधि निर्माण तथा परिवर्तन किये गए हैं जिसके ज़रिये नकद का देश में प्रवाह अधिकतम हो सके। साथ ही साथ यह भी प्रावधान निर्धारित हुआ है कि इन ट्रस्ट्स में जमा किये गए डिविडेंड पर कोई टीडीएस नहीं लगेगा।
अभी तक बिल्डिंग एंड अदर कंस्ट्रक्शन वर्कर्स (BOCW) उपकर जो कि 1-2% की दर से मज़दूरों की भलाई के लिए एम्प्लॉयर्स (नियोक्ताओं) से लिया जाता है, उसके होने के बावजूद मजदूर वर्ग उसका पूर्ण रूप से लाभ नहीं उठा पाया है। इसी लिए वित्त मंत्री ने मज़दूरों के हितों को ध्यान में रखते हुए उन्हें भी एक नए पोर्टल के ज़रिये सामाजिक सुरक्षा जैसे कि छात्रवृति, पुनर्वास, बेहतर चिकित्सा, आदि सेवाओं का लाभ उठाने के लिए योग्य करार देने का बीड़ा उठाया है। इसके बारे में अधिक जानकारी आगामी कुछ समय में संभव है।
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